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" तू पुछ सकता है क्यों की तुझे हक है ,बुझदिलो को आज भी अपने जमीर पर शक है ।"

कौन अमीर, कौन गरीब ? सरकार या आमआदमी


              महेंगाइ के जमाने मे आमआदमी का पगार नहीं बढ़ता है शायद आमआदमी को सरकार की नजर से महेंगाइ अब असर नहीं कर रही है मगर यही महेंगाइ सांसद को बहुत ही बड़ी असर कर रही है क्यू की सांसदो के पगार बढ़ते ही है वो भी तगड़ी रक्कम के साथ शायद इस देश के सांसद बहुत ही गरीब है |“
* जोकर का मुखौटा काम आता है 
              ये रहे देश के अमीर लोग जो एक एक दाने के लिए मोहताज है मगर देश का प्रधानमंत्री 7721 की थाली बर्बाद कर रहा है कमाल का संयोग है ये, देश का आमआदमी जो अपने नेता चुनकर देता है विश्व के सबसे बड़े लोकतन्त्र के लिए मगर उसे ही पता नहीं की वो लोकतंत्र से चुनी गई सरकार के रूप मे तानाशाही को चुन रहा है आम आदमी का हाल तो ऐसा हुवा है जैसे कोई सर्कस का जोकर अपना दर्द छूपाने के लिए कोई मुखौटा पहेनकर बैठा हो |”
               हर सांस के साथ महेंगाइ बढ़ रही है देश मे ओर कॉंग्रेस सरकार चिल्ला रही है की महेंगाइ को काबू मे लेने के लिए हम कडक कदम उठा रहे है | तो क्या कदम डीजल मे 50 पैसा बढ़ोतरी करके उठाया जाता है क्यू की देश के बच्चे को भी पता है की 50 पैसा बढ़ाने से ट्रांसपोर्ट महँगा होगा तो स्वाभाविक है की महेंगाइ बढ़ेगी, मगर यहाँ महेंगाइ सरकार की नजर से आमआदमी के लिए सब कुछ सस्ता है ओर आम आदमी अपना निर्वाह आराम से कर सकता है मगर सांसद सभ्यो के तगड़े पगार के बावजूद भी सांसद सभ्यो को महेंगाइ परेशान कर रही है क्या आपको पता है आपके सांसद का पगार कितना है ?
    
                  " कमाल के राजकर्ता है हमारे मानो वो कहे रहे हो जनता से की हमारा खून ,खून ओर तुम्हारा पानी | ”
         
* पूरा देश कुपोषित है       
         “ ऐसा देखा जाए तो पूरा देश ही कुपोषित है क्यू की यहाँ कितनों को महेंगाइ के जमाने मे संतुलित आहार मिलता होगा ? जब की सरकार महज 80 पैसे मे आपके बच्चे को अच्छी शिक्षा मिलती है ओर fruit तो 2 रुपये किलो मिलता है ऐसा कहेती है भाई मगर किसिकों पता चले की देश के कौनसे हिस्से मे इतनी सस्ताई है तो बताए जरूर क्यू की आज भी इस देश मे हजारो हाथ भूख से तड़पकर रोटी मांगने के लिए उठते नजर आ रहे है |”


* इस कतार मे कही आप भी ना हो ? 
               चिंता ना करे, इनकी चिंता तो सरकार को भी नहीं है तो आप क्यू करते है ? हाँ चिंता ही करनी हो तो इस बात की करो की कल कही इस कतार मे आपके अपने ओर आप भी नजर ना आए ........ |

               सोचिए इस बात पर कभी अगर आपको वक़्त मिले तो 7721 की थाली खाकर 200 थाली का अनाज बर्बाद करनेवाले हमारे प्रधानमंत्री ने कभी इनके बारे मे क्यू नहीं सोचा ? ओर महेंगाइ सांसदो को परेशान कर रही है तो क्या आपको नहीं करती है परेशान ?


सोचिए ...समजीए ओर सूजबूज के साथ अपने नेता को चुनिये 

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जले पर नमक मत छिड़को .

                              " जले पर नमक मत छिड़को ...और यही काम त्रिवेदी के विवादास्पद कार्टून ने किया है ,सरकार जब अपने ही कर्मो से चारो\तरफ से फसी हुई है उसी वक़्त त्रिवेदी ने ये कार्टून बनाया और लोगो के सामने रख दिया |"

                        " कार्टून को अगर गौर से देखा जाए तो कार्टून बेजुबान होकर भी बहुत कुछ कहे रहा है जो इस देश मे हो रहा है उसे कार्टून कहे रहा है सबसे पहले तो " सत्य मेव जयते" तभी होता है जब देश का कानून अपना काम बिना किसी के दबाव मे आकर करता है मगर ये बात हम सब के सामने है की कानून वही करता है जो सरकार चाहती है वरना देश मे हुवे घोटालो के आरोपी कानून के सलाखों के पीछे होते, क्या अब भी आप कहोगे की "सत्य मेव जयते "? क्या इस देश मे ऐसा कुछ रहा है जिस से आप कहे सको की "सत्य मेव जयते " ? हमारे देश का कानून सच मे अंधा कानून है क्यू की उसकी आंखो पर पट्टी है और वो देखता है तो सिर्फ सरकार की नजरों से |"

                        " आखिर क्यू हर वो इंसान को जो सच बोल रहा है उसे दबाया जाता है कानून के जरिये ? क्यू उन्हे आज़ादी दी जाती है जो इस देश को बेरहमी से लूटते है ? सोचिए और बताइये क्या कानून काम कर रहा है अगर आपकी नजर से कर रहा है तो आप कहिए "सत्य मेव जयते " मगर एक सवाल का जवाब दो " इस देश के सेंकड़ों लोगो को सरेआम कत्ल करनेवाले " कसाब " जैसे को क्यू बचा रहा है कानून ? क्या केमेरे मे कैद अंधा धुंध गोलिया चलाता हुवा "कसाब "दिखाई नहीं देता है कानून को ? "

                      " लोमड़ी जैसी सरकार इस्तेमाल कर रही है देश के कानून का ऐसे मे कानून से भला उम्मीद रखना कितना योग्य है ...मजबूर लोगो को कानून के हाथो पिटवाना और कसाब जैसे लोगो को कानून का रक्षण देना क्या वाजिब है ? यही तो कर रही है सरकार ....भारतीय रेल के टॉइलेट पेपर पर भी सरकार ने ही अशोक चक्र लगाया है तो क्या रेल मंत्री गुनहगार नहीं है कानून की नजरों से ? "

                       " रेल मंत्री को इस देश का कानून कभी देश द्रोही कहे भी नहीं सकता है क्यू की सरकार के वो माननीय मंत्री है और संविधान ही उनके हाथो मे है जो संविधान का अपमान भी कर सकते है मगर देश के नागरिक के पास क्या है ? तो "आम आदमी" का दर्जा जो महेंगाइ की मार ही खा सकता है सिर्फ .....कुछ बोल नहीं सकता | "

शीला दीक्षित सरकार चोर है ( आरटीआई ) ?


                                         "शीला दीक्षित और काँग्रेस सत्ता पाने के लिए कितना झूठ बोल सकती है वो खुद आप ही देखिये सायद काँग्रेस को अब सत्ता का एक ऐसा नशा हो गया है, जैसे किसी "चरसी को चरस" का बिना चरस लिए चरसी को चैन नहीं आता है और अगर उसके पास पैसे न हो तो वो कुछ भी करता है मगर चरस तो लेता ही है बिलकुल वैसा ही काँग्रेस पार्टी सत्ता पाने के लिए कर रही है और किया भी था "दिल्ली चुनाव के वक़्त " ये मै नहीं मगर एक "आरटीआई"कहे रही है |"

* ये योजना क्या थी ?
                                           " सुनीता भारद्वाज द्वारा दाखल की गयी "आरटीआई" ने दिल्ली की शीला दीक्षित सरकार को झुका ही दिया है बात उन दिनो की है जब दिल्ली मे 2008 का चुनाव था और चुनाव के वक़्त बड़े ज़ोर शोर से शीला दीक्षित ने " राजीव रत्न आवास योजना" की घोषणा की थी और जिसे कहा गया था " सच होगा सपना जब होगा एक घर अपना " जिस मे कहा गया गया था की जिन परिवार की वार्षिक इन्कम 60000 है और जिन लोगो के पास घर नहीं है और जो लोग दिल्ली मे पिछले 10 साल से रहते है उनको सरकार देगी एक घर वो भी आपको तो सिर्फ 60000 हजार ही भरने है और पा सकते है आप " राजीव रत्न आवास योजना" के अंतर्गत खुद का मकान | "

* शीला दीक्षित के झूठे वादे और बटोरे पैसे
                                            " आरटीआई " के रिपोर्ट की बात करने से पहले आपको बता दु की शीला दीक्षित ने उस वक़्त हर मीडिया मुलाक़ात मे ये ज़ोर शोर से कहा था की " 50000 मकान की जगह हमारी सरकार ने 60000 हजार मकान तैयार किए है" और देखनेवाली बात ये है की शीला दीक्षित के कहने के मुताबिक अगर मकान तैयार किए गए है तो आजतक किसिकों क्यू मकान नहीं मिला है ?और आगे शीला दीक्षित ने कहा था की "हमारी सरकार 2012 तक 4 लाख मकान तैयार हो जाएंगे और वो मकान गरीबो को दिये जाएंगे और आपको सिर्फ 60000 हजार रुपये भरने है बाकी 1 लाख की सहाय आपको केंद्र की काँग्रेस सरकार करेगी और आपकी बाकी रक्कम दिल्ली के काँग्रेस सरकार भर देगी " ऐसा कहेकर प्रति फोरम 100 रुपये लेकर फॉर्म भरवाये गए थे और उस वक़्त 2 लाख 63 हजार फॉर्म उन्होने भरे थे गरीबो से 100 रुपये लेकर के याने आप हिसाब लगाए 26300000 रुपये उन्होने झूठ बोलकर बटोरे |"

* सुनीता ने खोली थी पोल
                                            " 2008 से लेकर अब तो 2012 आ गयी मगर किसी को मकान नहीं मिला है आजतक और मिलेगा भी कैसे मकान बने ही नहीं है और न ही सरकार की कोई ऐसी योजना भी है और इस बात का खुलासा हुवा सुनीता भारद्वाज द्वारा लगाई गयी एक "आरटीआई " से आइये देखते है "आरटीआई" ने क्या कहा ? "

* वो "आरटीआई" क्या थी ?
                                              " जब सुनीता ने "आरटीआई" से जवाब मांगा तो दिल्ली के लोकायुक्त " जस्टिस मनमोहन सरीन "ने अर्जी नंबर सी-244/लोक/2009 जिसकी तारीख थी 12/11/2009 के तहत ये कहेकर जवाब दिया की " इतनी जमीन ही नहीं है तो सरकार मकान कहाँ बनाएगी ? "लोकयुक्त ने आगे ये भी कहा की रजिस्ट्रेशन एक्ट 1985 के तहत सरकार गरीब लोगो को मकान दे सकती है मगर जूठे वादे कर नहीं सकती जब की सरकार के पास सिर्फ 9439 मकान ही बन सके उतनी ही जमीन है और वो जमीन सरकार हस्तक भी है तो फिर जब पर्याप्त जमीन ही नहीं है सरकार के पास और जहां 9439 मकान बन सकते है वहाँ सरकार ऐसा कैसे बोल सकती है की 60000 मकान तैयार हो चुके है ? या तैयार करेंगे अगर 60000 हजार मकान बनाने के लिए भी पर्याप्त जमीन सरकार के पास नहीं है तो वो कैसे कहे सकती है की 4 लाख मकान 2012 तक बन जाएंगे गरीबो के लिए ....ये तो गरीबो की गरीबी का सरासर मज़ाक ही उड़ाया |"शीला दीक्षित सरकार को फटकारते हुवे आगे कहा गया है की "शीला दीक्षित सरकार झूठ बोलती है और गरीबो को सपने दिखाकर चुनाव जीतने मे ही मानती है |"

* लोकयुक्त ने पूछा ये 100 का चक्कर क्या है ?
                                                " लोकयुक्त के द्वारा जब शीला दीक्षित सरकार से लोगो के पास से 100 रुपये प्रति फॉर्म लेने के बारे मे पूछा गया तो देखिये शीला दीक्षित सरकार ने कितना झूठ बोला था उसने कहा था की " 100 रुपये प्रति फॉर्म तो हमने दिल्ली मे बसनेवाले गरीबो की गिनती के लिए लिये हुवे थे " याने 26300000 रुपये बटोरे ,तो क्या गरीबो की संख्या कितनी है उसकी जानकारी भी सरकार के पास नहीं है जो उन्हे गरीबो से ही पैसे लेकर गिनती करनी पड़ी ? "

* शीला दीक्षित ने किया कबूल :
                                              " शीला दीक्षित ने किया कबूल एक एफ़िडेविट के जरिये की " उनके पास 60000 हजार मकान तो नहीं है गरीबो के देने के लिये क्यू की उतनी जमीन नहीं है फिलहाल सरकार के पास सिर्फ 9436 फ्लेट ही उपलब्ध है जो सरकार गरीबो को दे सकती है " राजीव रत्न आवास योजना " के तहत ...अब आप खुद ही देख लीजिये एक तरफ काँग्रेस सरकार मकान देने का वादा करती है और चुनाव जीतने के बाद एफ़िडेविट के जरिये कहेती की पर्याप्त जमीन नहीं है हम मकान नहीं दे सकते है जब 60000 हजार मकान भी नहीं तो 4 लाख मकान 2012 तक बन जाएंगे कहेकर गरीबो को सपने दीखानेवाली ऐसी सरकार के बारे मे आपका क्या खयाल है ?


साभार : http://eksacchai.blogspot.com
               
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बड़ा कमाल का है ये सिस्टम


* वाह रे सिस्टम  -
                      " देश का आम आदमी दो वक़्त की रोटी के लिए फटे जूते पहेनकर दौड़ रहा है सुबह से शाम तक और देश को लुटनेवाले उसीका मज़ाक उड़ाते है मानो आमआदमी ही इस सिस्टम का सबसे बड़ा गुनहगार हो ,कमाल का है ना इस देश का सिस्टम इस देश मे टेक्स भरनेवाले मर जाते है और देश को लुटनेवाले आबाद हो जाते है वाह रे ! सिस्टम |"
                   
*सलाम है देश को लुटनेवालों को -
                      " रोटी की चोरी करने पर आपको सजा हो सकती है मगर देश की तिजोरी साफ करनेवालों को जमानत भी तुरंत मिल जाती है ये है हमारा सिस्टम ,गरीब लोगो पर डंडे बरसते है और डंडे बरसानेवाले वही हाथ देश को लुटनेवालों को सलाम करते है कमाल का है सिस्टम पड़ोस के घर मे आप चोरी करते हो तो जज ...ये सिस्टम आपको कड़ी से कड़ी सजा सुनता है मगर देश को लुटनेवालों को भी वही जज तुरंत जमानत दे देता है वहाँ सजा नहीं जमानत है सजा तो सिर्फ आम आदमी के लिए ही है ...........ये है हमारा सिस्टम  |"
   
* लुटेरो को मिलती है जहां जमानत -
                       " देश को लुटनेवाले स्विस बैंक मे पैसा जमा करवाते है मगर आम आदमी जो टेक्स भर रहा है वो अपने बचत खाते मे पैसे भी जमा नहीं करवा सकता है फिर भी उस आम आदमी को 28 वाला अमीर कहा जाता है कमाल का है ये सिस्टम .....है ना ? आम आदमी का पगार कभी बढ़ता नहीं है महेंगाइ मे मगर इस देश को लुटनेवालों का पगार बढ़ता है कहेकर की महेंगाइ है, क्यू की आम आदमी 28 वाला अमीर है ......कमाल का है सिस्टम ,किसीको शक के आधार पर पकड़ता है ये सिस्टम तो सालो नीकल जाते है छूटने मे मगर देश के लुटेरो को जमानत भी मिल जाती है चुटकियों मे ये भी सिस्टम है ,आम आदमी की कोई जेबकतरा जेब काटता है तो उस जेब कतरे की जगह जगह तस्वीर लगता है ये सिस्टम मगर देशवासियों की जेब काटने पर सलाम करता है ये सिस्टम |"

* जेब मेरी खाली है वरना कमाल का है सिस्टम -                   
                       " जेब कतरो को सरेआम पीटता है ये सिस्टम मगर देशवासियों की जेब काटनेवालों की सुरक्षा करता है ये सिस्टम ...देशवासियो को डंडे दिखानेवाला सिस्टम देश लुटनेवालों के जूते भी साफ करता है, बड़ा कमाल का है सिस्टम ,बाजार मे सारे आम बिक रहा है सिस्टम मगर अफसोस आम आदमी की जेब जो खाली है वरना कमाल का है सिस्टम क्यू की सिस्टम अच्छा होता तो देश मे इतने घोटाले नहीं होते और ना ही आमआदमी दर दर की ठोकरे खाता और ना ही आम आदमी का कफन महँगा होता सायद ये सिस्टम कहे रहा है की संविधान सिर्फ आमआदमी के लिए ही है, देश को लुटनेवालों के लिए नहीं अगर संविधान देश के लुटेरो के लिए भी वही होता तो ये सिस्टम उनको कभी सलाम नहीं करती .....बड़ा कमाल का है सिस्टम |"

* चोर नेता की बीचोबीच समाधि मगर शहीद को शहीद का दर्जा नहीं
                            " रेशन कार्ड मे बच्चे का नाम डलवाना है तो आप थक जाओगे मगर किसी घुसपेटिए को रेशन कार्ड चाहिए तो मिल जाता है ...........बड़ा कमाल का है सिस्टम ,आतंकी हमले मे आपके परिवार का कोई मर जाता है तो 5 लाख तक देता है ये सिस्टम मगर वही आतंकी को महेमान बनाकर आपके सर पर रखता है ये सिस्टम ,.....वाह रे सिस्टम आमआदमी को रहने के लिए जगह भी नसीब नहीं होती है मगर देश को लुटनेवालों की शहर के बीचोंबीच समाधि बनाई जाती है ,क्या इसिकों कहते है सिस्टम ? देश के असली शहीद को शहीद का दर्जा भी नहीं देती है सिस्टम मगर देश लुटनेवालों को शहीद घोषित करने पर तुला है सिस्टम |"

* हमार घोटाले की रेल गाड़ी                         
                     " शायद तभी ये सिस्टम कहे रहा है आमादमी से की "ना आघाडी देख ,ना पिछाड़ी देख, तू देख तो सिर्फ हमारे घोटाले की आगगाड़ी देख जिस गाड़ी के हर डिब्बे मे तुझे एक नया घोटाला देखने को मिलेगा और भूलकर भी डिब्बे मत गिनना.....तू थक जाएगा क्यू की ? इस सिस्टम ने हमे ये तो दिया है " बड़ा कमाल का है ना ये सिस्टम ? आम आदमी को सौचालय नसीब नहीं हो रहा है तो फिर 35 लाख का सौचालय तो दूर की बात है क्यू की सिस्टम यही कहती है की राजा मौज करे, जनता चक्की पिसे और आटा राजा के सैनिक ही खाये ....तू बस्स चक्की पीस क्यू की तू आमआदमी है इस सिस्टम का हिस्सा नहीं अगर हिस्सा होता तो कोयले की खदान मे से एक ब्लॉक तो मिलता ही "सहाय की सहाय" के रूप मे कमाल है जैसे फटे जूते का कोई स्थान नहीं होता है वैसे ही इस देश के सिस्टम मे भी आमआदमी का स्थान कुछ भी नहीं है और यही सत्य है मेरे भाई सायद इसिकों सिस्टम कहते है |"
                  
                            " तू बस्स ! देखता जा क्यू की ना ही तेरे हाथ मे कुछ है और ना ही कुछ रहेगा यकीन मान दोस्त ये सिस्टम ही तुझ से एक दिन तेरी "चड्डी और बनियान" भी छिनेगा .....फिर ये न कहेना की वाह रे सिस्टम क्यू की सिस्टम भी आज कल देश लुटनेवालों के हाथ की कटपुटली जो बन गया है .......बड़ा कमाल का है न ये सिस्टम ? "



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जल्द आ रही है पोस्ट

चुनाव आयोग गुनहगार है

" क्यू कहा चुनाव आयोग गुनहगार है ? ये आप खुद ही पढ़िएगा इस ब्लॉग मे आनेवाली अगली पोस्ट मे ..... अगर आपके पास इस पोस्ट के बारे मे है कोई सुजाव तो हमे लिख भेजिये "

- आम आदमी

संविधान आखिर हम पर ही क्यू ?

कौन जानता है की इस देश का संविधान क्या है ? नेता लोग हमे ही संविधान की दुहाई देते है क्या इस देश का संविधान सिर्फ आम आदमी के लिए ही है ? नेता के लिए नहीं ?

why this ?

देश के चलन में शहीदों की जगह "क्रोस" का निशान क्यों ? अपने मंत्रियो से पूछिए की उन्होंने ५ साल में आपके लिए क्या किया ? क्यों की ये नेता " समाज सेवा " भूल गए है तो सिर्फ हमारी नींद की वजह से ... आप पूछ सकते है आप दाता है ..आप मालिक है इस देश के ..पूछिये